गाजियाबाद साइबर फ्रॉड के मामलों में 21 महीने में 577 लोग ठगों के शिकार बने. 1.40 अरब रुपये गंवाए, पुलिस ने 24% रकम रिफंड कराई. जानिए पूरी रिपोर्ट
साइबर ठगों का आतंक
गाजियाबाद में साइबर ठगों का आतंक लगातार बढ़ रहा है. लोग लाख कोशिशों और जागरूकता अभियानों के बावजूद भी ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं. आंकड़े डराने वाले हैं क्योंकि जनवरी 2024 से सितंबर 2025 तक यानी 21 महीनों में 577 लोग साइबर ठगी का शिकार बने और ठग उनसे 1 अरब 40 करोड़ से ज्यादा की रकम उड़ाकर ले गए.
पुलिस ने कितनी रकम वापस दिलाई
ADCP क्राइम पीयूष सिंह ने बताया कि गाजियाबाद साइबर फ्रॉड में अब तक करीब 24 प्रतिशत रकम वापस कराई जा चुकी है. यानी लगभग 33.72 करोड़ रुपये पीड़ितों को रिफंड किए गए हैं. यह पुलिस और साइबर सेल के लिए बड़ी उपलब्धि है, लेकिन अभी भी अधिकांश लोग अपनी मेहनत की कमाई खो बैठे हैं.
सितंबर 2025 का हाल
सिर्फ सितंबर 2025 के महीने में ही 24 लोग साइबर ठगों के जाल में फंस गए. इनसे कुल 6.33 करोड़ रुपये ठगे गए. पुलिस की सतर्कता की वजह से इसमें से 3.84 करोड़ रुपये फ्रीज करा दिए गए और करीब 2.03 करोड़ रुपये यानी 32 प्रतिशत रकम वापस दिलाई गई. इस दौरान पुलिस ने 28 शातिर अपराधियों को गिरफ्तार भी किया.
बैंक अकाउंट्स पर भी कसा जा रहा शिकंजा
गाजियाबाद साइबर फ्रॉड की जांच में पुलिस ने उन बैंक अकाउंट्स को भी चिन्हित किया है जिनका इस्तेमाल ठगी में किया जा रहा था. NCRP पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के आधार पर अब तक दो बैंकों के करीब 400 खाते चिह्नित हुए हैं. इनका वेरिफिकेशन जारी है. रकम का साक्ष्य पेश न कर पाने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है.
जागरूकता के बावजूद लोग क्यों फंस रहे हैं
जनवरी 2024 में गाजियाबाद में साइबर क्राइम थाना खोला गया था. इसके बाद से लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया, कैंप, सेमिनार के जरिए लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है. इसके बावजूद लोग लालच या लापरवाही की वजह से ठगों के शिकार बन रहे हैं.
ADCP ने दिए जरूरी सुझाव
ADCP क्राइम पीयूष सिंह ने साफ कहा कि गाजियाबाद साइबर फ्रॉड से बचने का सबसे अच्छा तरीका है सतर्कता. उन्होंने लोगों से अपील की कि:
- किसी भी अनजान व्यक्ति को OTP शेयर न करें.
- अपनी private जानकारी किसी के साथ शेयर न करें.
- किसी unknown link पर क्लिक न करें और लालच से बचें.
- “Digital arrest” जैसी कोई चीज़ नहीं होती, पुलिस कभी ऐसा नहीं करती.
- सोशल मीडिया पर अनजान लोगों के ऑफर में न फंसें.
साइबर ठगों के नए-नए हथकंडे
गाजियाबाद साइबर फ्रॉड के मामलों में ठग हर बार नया तरीका अपनाते हैं. कभी lottery का लालच देते हैं, कभी loan मंजूर करने का झांसा देते हैं, तो कभी ऑनलाइन shopping offers के नाम पर पैसे ठग लेते हैं. कई बार वे खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर भी लोगों को फंसा लेते हैं.
लोगों को क्या करना चाहिए
अगर आप गाजियाबाद साइबर फ्रॉड या किसी भी ऑनलाइन ठगी का शिकार होते हैं, तो तुरंत 1930 नंबर पर कॉल करें या NCRP पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराएं. जितनी जल्दी शिकायत होगी, उतनी जल्दी पैसे फ्रीज कराए जा सकते हैं. देर करने पर रकम वापस मिलना मुश्किल हो जाता है.
बड़ी तस्वीर
गाजियाबाद साइबर फ्रॉड के 21 महीनों के आंकड़े साफ दिखाते हैं कि साइबर क्राइम कितनी तेज़ी से बढ़ रहा है. एक तरफ पुलिस पूरी मेहनत से ठगों पर शिकंजा कस रही है, करोड़ों की रकम फ्रीज करा रही है, गिरफ्तारियां कर रही है. लेकिन दूसरी तरफ लोगों की लापरवाही और awareness की कमी की वजह से ठगों को कामयाबी भी मिल रही है.
निष्कर्ष
गाजियाबाद साइबर फ्रॉड सिर्फ एक जिले की समस्या नहीं है, बल्कि पूरे देश के लिए चेतावनी है. Digital India के इस दौर में हमें technology का इस्तेमाल समझदारी से करना होगा. अगर लोग थोड़ी सी सावधानी बरतें और अनजान कॉल, मैसेज या लिंक से दूर रहें, तो ऐसे बड़े घोटालों को काफी हद तक रोका जा सकता है.

